Friday, 16 October 2015
Some lines for LIFE.....
1) मुसीबत अगर मदत मांगो तो सोच कर मांगना क्योंकि मुसीबत थोड़ी देर
की होती है और एहसान जिंदगी भर का ………
२) मशवरा तो खूब देते हो "खुश रहा करो" कभी- कभी वजह भी दिया करो ……
३) कल एक इंसान रोटी मांगकर ले गया और करोड़ोकी दुआए दे गया,
पता ही नहीं चला की, गरीब ओ था की मै ………
४) गठरी बांध बैठा है अनाडी साथ जो ले जाना था ओ कमाया ही नहीं।
५) मै उस किस्मत का सबसे पसंददीदा खिलौना हु, ओ रोज़ जोड़ती है मुज़े फिर से तोडने के लिये।
६) जिस घाव में खून नहीं निकलता, समाज लेना ओ जख्म किसी अपने ने हैं दिया है।
७) बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोये या जमीं पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी
८) खोये हुए हम खुद है, और ढूंढते भगवन को है ।
९) जिंदगी तेरी भी अजब परिभाषा है, सवाँर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है ……
१०) खुशियां तक़दीर में होनी चाहिए, तस्वीर में तो हर कोई मुस्कराता है .......
११) जिंदगी भी विडिओ गेम सी हो गई है एक लेवल क्रॉस करो तो अगला लेवल मुश्किल आ जाता है ……
१२) इतनी चाहत तो लाखो रु. पाने की भी नहीं होती, जीतनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की
होती है........
१३) हमेशा छोटी- छोटी गलतिओसे बचने की कोशिश किया करो, क्यूंकि इंसान पहाड़ो से नहीं पत्थरों से ठोकर खता है। ………
Tuesday, 13 October 2015
(नवकार (णमोकार) मंत्र का अर्थ)

(नवकार (णमोकार) मंत्र का अर्थ)
अरिहंतो को नमस्कार
सिद्धो को नमस्कार
आचार्यों को नमस्कार
उपाध्यायों को नमस्कार
सर्व साधुओं को नमस्कार
ये पाँच परमेष्ठी हैं । इन पवित्र आत्माओं को शुद्ध भावपूर्वक किया गया यह पंच नमस्कार सब पापों का नाश करने वाला है ।
संसार में सबसे उतम मंत्र है ।
" मरने वाला मर कर स्वर्ग गया है या नर्क ?
अगर कोई यह जानना चाहता है तो इसके लिए किसी संत या
ज्योतिषी से मिलने की जरुरत नहीं है , बल्कि उसकी सवयात्रा मे होने वाली बातो
को गौर से सुनने की जरुरत है | यदि लोग कह रहे हो कि बहुत अच्छा आदमी था |
अभी तो उसकी देस व समाज को बड़ी जरुरत थी , जल्दी चल बसा तो समजना कि व स्वर्ग
गया है | और यदि लोग कह रहे हो कि अच्छा हुआ धरती का एक पाप तो कम हुआ
समजना कि मरने वाला नर्क गया है | "
कड़वे प्रवचन : मुनिश्री तरुण सागर जी
कोई कुत्ता कहे तो भौंको मत...
* यदि आपको कोई कुत्ता कहता है तो आप उसे भौंकें नहीं बल्कि मुस्कुराएं। गालियां देने वाला स्वयं ही शर्मिन्दा हो जाएगा। अन्यथा सचमुच कुत्ता बन जाओगे। यदि कोई आपको गालियां देता है और आप उसे स्वीकार नहीं करते तो वह गालियां उसी के पास रह जाती हैं।
* जीवन में शांति पाने के लिए क्रोध पर काबू पाना सीख लो। जिसने जीवन से समझौता करना सीख लिया वह संत हो गया। वर्तमान में जीने के लिए सजग और सावधान रहने की आवश्यकता है।
* शादी करना है तो जागते हुए करो। परिजनों की मर्जी को दरकिनार कर घर से भागने की प्रवृत्ति आपके जीवन को अंधकारमय बना सकती है।
* युवतियां कभी भी घर से भागकर शादी मत करना। विधर्मी से शादी करने पर आपको वह सब भी करना पड़ सकता है जिसकी कल्पना आपने कभी न की होगी। तीन घंटे की फिल्म तथा वास्तविक जीवन में काफी अंतर होता है। अत: जागृत अवस्था में रहकर कोई भी कार्य करो।
*जिसके भाग्य में जो लिखा है, उसे वही मिलेगा और परेशान होने से कुछ अतिरिक्त प्राप्त नहीं होने वाला। सर्वोच्च सत्ता ईश्वर के ही हाथ में है। अत: यदि वह आपसे नाराज है तो दुनिया की कोई ताकत आपकी मदद नहीं कर सकती।
कडवे प्रवचन : धन का अहंकार न करें!
- मुनिश्री तरुण सागरजी
* कोई भी सुरक्षा मनुष्य को मौत से नहीं बचा सकती। मौत के आगे सुरक्षा भी फेल हो जाती है। हम अपने जीवन की रक्षा के लिए भले ही कितने सुरक्षा कर्मचारी तैनात कर लें लेकिन वे मौत से नहीं बचा सकते। बाहरी सुरक्षाकर्मी कुछ नहीं कर सकते।
* हमें वास्तव में यदि मौत से बचना है, तो केवल आपके द्वारा किए गए पुण्य कार्य ही उसे आने से रोक सकते हैं। हमेशा अच्छे कार्यों का श्रेय बड़ों को दें तथा त्रुटियों के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराएं।
* जिस प्रकार पशु को घास तथा मनुष्य को आहार के रूप में अन्न की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार भगवान को भावना की जरूरत होती है। प्रार्थना में उपयोग किए जा रहे शब्द महत्वपूर्ण नहीं बल्कि भक्त के भाव महत्वपूर्ण होते हैं।
* लोग दुनिया का कल्याण तो चाहते हैं, लेकिन पहले स्वयं अपना। शराब से ज्यादा नशा धन का होता है। शराब का नशा तो दो-चार घंटे बाद ही उतर जाता है, लेकिन धन का नशा तो जिंदगी बर्बाद करने के बाद ही उतरता है।
* धन का अहंकार रखने वाले हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पैसा कुछ भी हो सकता है, बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं हो सकता। हर आदमी को धन की अहमियत समझना बहुत जरूरी है।
* धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह है, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति 'लाभ' की कामना करता है, लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात 'भला' करने से दूर भागता है।
* वास्तव में 'होटल' का अर्थ 'वहां से टल' जाना ही समझना चाहिए। शाकाहार का पालन करने वालों को चाहिए कि कभी भी उस होटल में भोजन मत करो जहां मांसाहारी भोजन भी बनता हो। वैसे भी घर में पका भोजन ही श्रेष्ठ होता है क्योंकि उसमें वात्सल्य, प्रेम रहता है। अत: हमेशा ही घर में बने भोजन को प्राथमिकता दें।
Friday, 9 October 2015
नाही जन्मली मुलगी तर उद्याच्या जगाला आई कुठली
"आई " हा शब्द नुसता ओठावर जरी आला तरी किती छान वाटत. जे आईचे प्रेम आहे , जी आईची माया आहे ती नुसती आई हा शब्द जरी ओठावर आला तरी अनुभवायला मिलते.
आपल्या सुखात, आपल्या दुःखात आई हा शब्द ओठावर आल्या वाचून रहत नाही. का आपल्या बाबा किंवा अजुन कुठवल्या नातेवाईकांचा नाव येत नसेल? आपली आई जरी आपल्या सोबत नसली तरी का आईलाच आपण हाक मारतो. कारन या जगत आईच्या मएयेवढी मोठी कुणाचीच माया नाही आणि आई पेक्षा मोठी माया असुहि शकणार नाही.
" सुख असो व दुःख पाठीशी तू राहते
कधी कोन्या कमाची परतफेड नातू मागते
तरीही या दुनियेत आई आज असही होते
की इथे मुलीलाच गर्भामध्ये मारल्या जाते. "
खर आहे एक मुलगी जेव्हा जन्मते ती मोठी होते आणि ती जेव्हा आई होते तेव्हा त्या आई च किती कौतुक
केल्या जाते . पण आज परिस्तिथि जरा बदलली आहे. आई होणार असेल तर मुलालच जन्म दिला पाहिजे, आई होणार असेल तर मुलालच जन्म दिला पाहिजे.... पण लोकहो जर मुलच जन्माला आली तर एक दिवस असा येईल की मूल जन्माला घालयला आइच शिल्लक राहणार नहीं. आज हे ऐकायला आपल्याला कही वाटणार नहीं कदाचित, पण आज जार स्त्रिभ्रुणहत्या थांबवल्या गेल्या नहीं तर तो दिवस दूर नसेल जेव्हा मुलगा जन्माला घालायला आईंच शिल्लक राहणार नाही.
स्त्रिभ्रुणहत्येची कारने अनेक आहेत, कुठे आम्हाला मुलगाच हवा हा अट्टहास असतो, तर
आर्थिक परिस्थितिमुले मुलीच पालन-पोषण आणि तिच्या लग्नाचा खर्च झेपावणार नाही याची कालजी, कुठे
सामाजिक व शारीरिक असुरक्षतेचा प्रश्न असतो तर कुठे मुलगी अविवाहित राहिल्यास कुटुम्बला कलंक लागेल अशीभावना आणि या सर्वांना सोपि वाटली ती गर्भलिंग निदानाची सहज व परपरवडण्याजोगी उपलब्धता.वैद्यकीय क्षेत्रात जरी या सोई चांगल्या गोष्टींसाठी वापरल्या जातात पण याचा कुठेतरी दुरुपयोगच होतान्ना दिसतोच.
विद्न्यानाचे नवनवीन प्रयोग केले ते मापनाच, प्रयोग झालेत ते चांगल्यासाठीच पण आपला मानव जन्म नान्याला दोन बाजु अस म्हणून चांगल्या गोष्टीत वाइट शोधने आपल्याला चांगल जमते. पण आज जर स्त्रिभ्रुणहत्या रोखल्या नाही गेल्या, तर त्याचे किती वाइट परिणाम होतील याचा आपण विचार केलाच पाहिजे. आपल्या कडून जरी जास्त काही नाहीं करता आल तरी आपण एवढ तर नक्कीच करू शकतो, की मी निदान माझ्या घरीतरी लिंगपरीक्षण होउ देणार नाही. आणि जर मला अस कुणी करतांना आढळल तर मी विरोध केल्या शिवाय राहणार नाही. आपण प्रत्येकानि एवढ जरी केल तरी स्त्रिभ्रुणहत्या रोखण्यास खुप मदत होईल .
स्त्रिभ्रुणहत्या रोखण्यासाठी आज बऱ्याच संस्था समोर आल्या आहेत. त्या संस्थातील यवस्थापक अतोनात प्रयत्न करात असतात, की स्त्रिभ्रुणहत्या रोखल्या गेल्या पाहिजे. आज आपण या संस्थांचा भाग जारी नसलो तरी एक आपल्या देशाचे नागरिक म्हणून आपण ही जवाबदारी स्वीककरली पाहिजे.
"स्त्रिभ्रुनाला लाऊ नका कात्री
मिळणार नाही मग जन्मदात्री."
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